टैरिफ से दुनिया भर के बाजारों को हिला देने वाले डोनाल्ड ट्रंप से सुर कब-कब बदले?

वाशिंगटन
डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेरिका के राष्ट्रपति की कमान फिर से संभाली है, उसके बाद से ही दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में अस्थिरता है और फाइनेंशियल मार्केट्स को झटका लगा है। कभी वो टैरिफ का फैसला लेते हैं तो कभी उससे मुकर जाते हैं।
आइए जानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप के फैसलों की टाइमलाइन क्या-क्या रही है…
1 फरवरी – डोनाल्ड ट्रंप ने 25 प्रतिशत का टैरिफ मैक्सिको और कनाडा से इंपोर्ट होने वाले ज्यादातर सामान पर लगाया। इसी दिन में उन्होंने चीन से आयातित सामानों पर भी 10 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया। उन्होंने अमेरिका में आने वाले अवैध अप्रवासियों पर अंकुश लगाएं।
3 फरवरी – ट्रंप 2 दिन के अंदर ही अपने फैसले से पलट गए। उन्होंने मैक्सिको और कनाडा पर लगने वाले टैरिफ पर 30 दिन के लिए रोक लगा दी। हालांकि, चीन के साथ उन्होंने ऐसी कोई डील नहीं की।
7- फरवरी – ट्रंप ने चीन से आने वाले कम कीमत वाले पैकेज सामानों पर तब तक टैरिफ लगाने से रोक लगा दी, जब तक कॉमर्स डिपार्टमेंट की तरफ से टैरिफ कलेक्शन का खाका नहीं आ जाता।
10 फरवरी – अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्टील और एल्युमिनियम पर 25 प्रतिशत तक का टैरिफ लगा दिया है।
3 मार्च – ट्रंप ने मैक्सिको और कनाडा से इंपोर्ट होने वाले सामान पर 25 प्रतिशत के टैरिफ को 4 मार्च से लगाने का ऐलान किया। वहीं, चीन के सामानों पर 20 प्रतिशत का टैरिफ लगान का ऐलान किया।
5 मार्च – प्रेसिडेंट ट्रंप कनाडा और मैक्सिको में बने कुछ व्हीकल्स पर टैरिफ को एक महीने के लिए रोक दिया। यह फैसला जनरल मोटर्स और फोर्ड के सीईओ की तरफ से आए फोन के बाद लिया गया है।
6 मार्च – ट्रंप ने नॉर्थ अमेरिकन ट्रेड पैक्ट की वजह से कनाडा और मैक्सिको से आने वाले सामान पर से 25 प्रतिशत के टैरिफ को एक महीने की रियायत दी।
26 मार्च – ट्रंप ने कार और हल्के ट्रक के आयात पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया।
2 अप्रैल – ट्रंप ने सभी आयातों पर 10 प्रतिशत की बेसलाइन टैरिफ का ऐलान किया। यह पहली बार था जब ट्रंप ने ग्लोबल स्तर पर टैरिफ लगाया है।
9 अप्रैल – ट्रंप ने एक बार फिर से अपने फैसले से पलट गए। उन्होंने अपने ग्लोबल टैरिफ को 90 दिन के लिए रोक दिया था। ट्रंप की तरफ से हुए 10 प्रतिशत के बेसलाइन टैरिफ की वजह से महज 24 घंटे के अंदर दुनिया भर के बाजार में अरबों डॉलर डूब गए हैं। हालांकि, 10 प्रतिशत की ब्लैंकेट ड्यूटी को बरकरार रखा गया था।
ट्रंप ने कहा कि वो चीन से आयातित सामानों पर 104 प्रतिशत से बढ़ाकर टैरिफ 125 प्रतिशत कर दिया था। इस फैसले से चीनी सामानों पर 145 प्रतिशत तक की ड्यूटी लग गई है।
13 अप्रैल – अमेरिकी प्रशासन की तरफ से चीन से आयात होने वाले स्मार्टफोन्स, कंप्यूटर्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों पर लगने वाले टैरिफ से रियायत दी गई।
22 अप्रैल – ट्रंप प्रशासन ने फार्मा और सेमीकंडक्टर पर टैरिफ लागने की मंशा से ट्रेड एक्ट 10962 के सेक्शन 232 के तहत जांच शुरू की।
4 मई – ट्रंप ने अमेरिका के बाहर प्रोड्यूस हुए सभी फिल्मों पर 100 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया।
9 मई – डोनाल्ड ट्रंप और ब्रिटिश पीएम ने एक द्विपक्षीय ट्रेड एग्रीमेंट का ऐलान किया। जिसके तहत ब्रिटिश एक्सपोर्ट्स पर 10 प्रतिशत का टैरिफ लगाता रहेगा। वहीं, इस फैसले के बाद ब्रिटिश कार निर्यात पर लगने वाले टैरिफ में कमी आएगी।
12 मई – अमेरिका और चीन ने एक दूसरे के खिलाफ लगने वाले टैरिफ को रोकने पर सहमति जताई। 90 दिन के संघर्ष विराम के तहत अमेरिका, चीन से आयातित सामानों पर लगने वाले शुल्क को 145 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत करेगा। वहीं, अमेरिकी आयातों पर चीन अपना शुल्क 125 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करेगा।
13 मई – अमेरिका ने चीन से कम कीमत वाले सामानों पर टैरिफ में कटौती का ऐलान किया। इसके तबत 800 डॉलर के मूल्य के सामानों पर लगने वाले टैरिफ को 120 प्रतिशत से घटाकर 54 प्रतिशत कर दिया।
23 मई – ट्रंप ने कहा कि उन्होंने यूरोपियन यूनियन से इंपोर्ट होने वाले सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की सलाह दी है। उन्होंने इसी दिन चेतावनी दी कि अगर अमेरिका में बेचे जाने वाले फोन देश के बाहर निर्मित किए गए तो उसे 25% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।
25 मई – ट्रम्प ने यूरोपीय संघ से इंपोर्ट होने वाले सामानों पर 50% टैरिफ लगाने की अपने ऐलान से पीछे हटने का फैसला किया। अमेरिका और ब्लॉक के बीच वार्ता की समय सीमा 9 जुलाई तक बढ़ाने पर सहमति जताई।
28 मई – इसी दिन अमेरिकी कोर्ट ने अपने एक फैसले में ट्रंप के टैरिफ के प्रभावी होने से रोकने का फैसला दिया। कोर्ट कहना था कि राष्ट्रपति का यह फैसला अधिकारों का अतिक्रमण किया है। ट्रंप प्रशासन ने वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेगा।
29 मई – कोर्ट ने ट्रंप के टैरिफ फैसलों को अस्थायी रूप से लागू करने का फैसला किया है। कोर्ट ने कहा कि वह सरकार की अपील पर विचार करने के लिए निचली अदालत के फैसलों को रोक रहा है।