180 कंकाल और 125 कैदी सौंपने की भी बात, इजरायल और हमास के समझौते के तहत 60 दिनों तक सीजफायर रहेगा

तेल अवीव
अमेरिका की ओर से हमास और इजरायल के बीच 60 दिनों के सीजफायर का प्लान तैयार किया गया है। इस प्लान पर इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने भी सहमति जताई है। उनका कहना है कि वह इस समझौते को लेकर विचार कर रहे हैं। इस समझौते के तहत 60 दिनों तक सीजफायर रहेगा। इस दौरान इजरायल की ओर से गाजा को जाने वाली मदद को रोका नहीं जाएगा। इसके अलावा हमास की तरफ से उन 28 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाएगा, जो उसकी कैद में हैं। इनमें से कई लोगों की मौत हो गई है। वहीं इजरायल भी 125 फिलिस्तीनी बंधकों को रिहा करेगा। यहां तक कि 180 बंधक ऐसे भी हैं, जिनकी मौत हो चुकी है। इन मृतकों के शवों को भी इजरायल की तरफ से हमास को दिया जाएगा।
सीजफायर के इस प्लान पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अलावा मध्यस्थ देशों मिस्र और कतर की भी सहमति है। वाइट हाउस ने भी गुरुवार को कहा कि इजरायल ने सीजफायर पर सहमति जता दी है। वहीं हमास का कहना है कि हम अभी सीजफायर प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। हमारा निर्णय शुक्रवार या फिर शनिवार तक सबके सामने होगा। माना जा रहा है कि हमास भी इसके लिए राजी होगा क्योंकि सीजफायर न होने पर गाजा के लिए पहुंचने वाली मदद को भी इजरायल रोके रहेगा। ऐसी स्थिति में हमास नहीं चाहेगा कि सीजफायर न हो। दरअसल गाजा में शांति को लेकर यूरोपीय देश भी दबाव बना रहे हैं। जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन समेत कई देशों ने इजरायल के खिलाफ पिछले दिनों प्रस्ताव भी पारित किया था।
ग्रेटा थनबर्ग क्यों आ रही हैं गाजा, एक यूरोपीय सांसद भी साथ
इसके अलावा 31 देशों के राजनयिक गाजा भी गए थे और इसी दौरान इजरायल की तरफ से फायरिंग की गई थी। इस बीच इजरायल के विरोध में ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग भी रविवार को गाजा पहुंच रही हैं। वह एक मानवीय सहायता वाले जहाज से जाएंगी। एक फ्रेंच फिलिस्तीनी सांसद ने इस बात की जानकारी दी। उनके इस दौरे का प्लान फ्रीडम फ्लोटिला ने बनाया है, जो गाजा के लोगों को मदद के लिए चल रहे संगठनों का गठबंधन है। एक यूरोपीय सांसद रीमा हसन भी इस यात्रा में शामिल रहेंगी। दरअसल इजरायल और अमेरिका के ऊपर गाजा को लेकर इसलिए भी दबाव है क्योंकि जर्मनी, फ्रांस, यूके समेत कई यूरोपीय देश लगातार मांग कर रहे हैं कि गाजा में हमले रोके जाएं। इसके अलावा तुर्की समेत कई मुस्लिम देशों की भी ऐसी ही मांग है।