आतंकी खेलना चाहते थे पहलगाम के आरू, एम्यूजमेंट पार्क या बेताब घाटी में खूनी खेल, इस वजह से बैसरन को बनाया निशाना

श्रीनगर
पहलगाम आतंकी हमले की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच में पता चला है कि हमला करने वाले आतंकियों ने बैसरन से पहले तीन और जगहों पर भी रेकी की थी। बताया गया है कि आतंकियों ने 22 अप्रैल से पहले पहलगाम और आसपास के इलाके की रेकी शुरू की थी। बैसरन, आरु वैली और बेताब वैली संग लोकल एम्यूज़मेंट पार्क की रेकी करने के बाद हमले के लिए बैसरन को चुना गया था। आतंकियों की ओर से सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल किए जाने के इनपुट भी जांच में मिले हैं। इसी बीच पूरे कश्मीर में छापेमारी और पूछताछ का तेज सिलसिला चल रहा है। हिरासत में लिए गए करीब 185 लोगों से आतंकियों और मददगारों के गठजोड़ के सुराग तलाशे जा रहे हैं।
किन जगहों की रेकी
जांच में गिरफ्तार किए गए एक ओवर ग्राउंड वर्कर (OGW) ने बताया कि आतंकी घटना से दो दिन पहले बैसारन घाटी में मौजूद थे। आतंकियों ने 15 अप्रैल को पहलगाम पहुंचकर चार जगहों की रेकी की थी। इनमें बैसरन घाटी, आरु घाटी, स्थानीय एम्यूज़मेंट पार्क और बेताब घाटी शामिल थे। सुरक्षा कड़ी होने की वजह से आतंकी इन जगहों पर हमला नहीं कर पाए। NIA इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। एनआईए को शक है कि लगभग 20 ओवर ग्राउंड वर्कर ने विदेशी आतंकियों की मदद की थी। इनमें से कुछ को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि बाकी पर नजर रखी जा रही है।
ओवर ग्राउंड वर्कर ने की आतंकियों की मदद
जांच में पता चला है कि कम से कम चार ओवर ग्राउंड वर्कर ने आतंकियों को रेकी और जरूरी सामान पहुंचाने में मदद की। हमले से पहले इलाके में तीन सैटेलाइन फोन के इस्तेमाल के सबूत भी मिले हैं। इनमें से दो डिवाइस के सिग्नल को ट्रैस कर लिया गया है। एनआईए और खुफिया एजेंसियां अब तक 2,500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर चुकी हैं। फिलहाल 186 लोगों को आगे की पूछताछ के लिए हिरासत में रखा गया है।
जम्मू और कश्मीर में कई जगह छापेमारी
हमले के बाद जम्मू और कश्मीर में कई जगह छापेमारी की गई। कुपवाड़ा, हंदवाड़ा, अनंतनाग, त्राल, पुलवामा, सोपोर, बारामूला और बांदीपोरा में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अलग-अलग गुट और जमात-ए-इस्लामी जैसे प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों और समर्थकों के घरों की तलाशी ली गई। एनआईए सूत्रों के अनुसार, इन संगठनों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। फिर भी इन्होंने एक ऐसा नेटवर्क बनाया, जिससे पाकिस्तानी आतंकियों को पहलगाम में हमला करने की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में मदद मिली।
NIA की जांच में पता चला है कि ऐसे 4 ओवरग्राउंड वर्कर्स ने पहलगाम समेत 4 जगहों की हमले के लिए रेकी की थी। इस रेकी के बाद ही आतंकियों ने पहलगाम की बैसरन घाटी में हमला करने का फैसला लिया। सूत्रों का कहना है कि अब तक कुल 20 ओवरग्राउंड वर्कर्स की पहचान हो चुकी है। इनमें से कई लोगों को अरेस्ट भी किया गया है। अब तक इस हमले के बाद से 186 लोगों को हिरासत में लिया गया है और उनके पूछताछ की जा रही है। दरअसल कश्मीर में लंबे समय से आतंकी संगठनों की यह रणनीति रही है। अब आतंकी संगठनों का कोई खुलकर साथ नहीं देता, लेकिन अपनी नौकरी और धंधे करते हुए ही कई लोग ऐसे पाए जाते हैं, जो आतंकियों का साथ देते हैं। इन्हें ही ओवरग्राउंड वर्कर का नाम दिया गया है।
22 अप्रैल को आतंकियों ने पहलगाम में टूरिस्टों को मारा था। इन आतंकियों ने पुरुषों को ही मारा और उनकी महिलाओं को छोड़ दिया। इन महिलाओं एवं अन्य परिजनों ने ही बताया था कि आतंकियों ने उनसे पहले धर्म पूछा था और फिर कलमा पढ़वाया और खतना तक चेक किया। रिपोर्ट्स के अनुसार 20 लोगों की पैंट उतरवाकर आतंकियों ने देखा था कि उनका खतना हुआ है या नहीं। खतना नहीं पाया तो पुष्टि हुई कि वे मुसलमान नहीं हैं और फिर उनका बेरहमी से कत्ल कर दिया गया।
कॉल रिकॉर्ड की जांच
इन संगठनों से जुड़े लोगों के कॉल रिकॉर्ड की जांच की जा रही है। जांचकर्ताओं को इन समूहों के सदस्यों और पहलगाम हमले में शामिल ओवर ग्राउंड वर्कर के बीच बातचीत के लिंक मिले हैं। इससे पता चलता है कि हमले की साजिश में कई लोग शामिल थे। एनआईए और दूसरी एजेंसियां मिलकर इस मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही हैं। वे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इस हमले में और कौन-कौन शामिल था और उनका मकसद क्या था?
मामले की जांच अभी जारी
इस पूरे मामले की जांच अभी जारी है। एनआईए हर पहलू पर बारीकी से ध्यान दे रही है ताकि दोषियों को सजा मिल सके और भविष्य में ऐसे हमलों को रोका जा सके। सुरक्षा एजेंसियां भी अलर्ट पर हैं और इलाके में कड़ी निगरानी रख रही हैं ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को टाला जा सके। लोगों से भी अपील की गई है कि वे शांति बनाए रखें और किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें। अगर उन्हें कोई संदिग्ध गतिविधि दिखाई देती है, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।
हमले से दो दिन पहले पहुंचा आतंकी दल
सूत्रों की मानें तो आतंकियों का दल अपने ओवरग्राउंड वर्क संग 19 अप्रैल को बैसरन पहुंचा था। उन्होंने बैसरन पार्क और आसपास क्षेत्र की रेकी की, लेकिन अपने ओवरग्राउंड वर्कर से इस विषय में कोई बात नहीं की
आतंकियों ने हमले से एक दिन पहले अपने ओवरग्राउंड वर्कर से संपर्क किया और उसे 22 अप्रैल की दोपहर को बैसरन पहुंचने के लिए कहा था।
ओवरग्राउंड वर्कर बने गाइड
सूत्रों के अनुसार, बैसरन नरसंहार के गुनहगारों को पकड़ने के लिए सुरक्षा बल ने अपना तलाशी अभियान जारी रखा हुआ है। सुरक्षा बल ने 20 के करीब ऐसे ओवरग्राउंड वर्करों को चिह्नित किया है, जो हमलावर आतंकियों के साथ संपर्क में रह चुके हैं। इनमें से कुछ जेल में बंद हैं। चार ओवरग्राउंड वर्करों ने पाकिस्तानी आतंकियों के लिए कथित तौर पर गाइड का भी काम किया है। पांच ओवरग्राउंड वर्करों के बारे में कहा जा रहा है कि वह हमले के समय पहलगाम और बैसरन के आसपास थे और आतंकियों से फोन पर संपर्क बनाए हुए थे।
उन्नत संचार उपकरण से संपर्क
आतंकियों के एक ओवरग्राउंड वर्कर ने उन्हें फोन पर उस जगह की भी जानकारी दी, जहां उन्हें हमले के बाद पहुंचना था। जांच में एक अल्ट्रा-स्टेट संचार उपकरण के दो सिग्नल भी पकड़े हैं। इस उपकरण के जरिए बिना सिमकार्ड के मोबाइल फोन से आडियो या वीडियो काल के लिए कनेक्ट किया जा सकता है, संदेश भेजा जा सकता है। जिस क्षेत्र में ये सिग्नल पाए गए थे, उसकी गहन तलाशी ली गई है और जांच जारी है।
आतंकियों के मददगारों को पकड़ा गया पहलगाम हमले को लेकर जांच एजेंसियों ने अभी तक 2600 संदिग्ध तत्वों से पूछताछ की है और उनमें से 188 को कथित तौर पर हिरासत में लिया है। इनके अलावा 20 ओवरग्राउंड वर्करों को भी पकड़ा गया है। इनके बारे में कहा जा रहा है कि ये मारे जा चुके आतंकी जुनैद के अलावा बैसरन हमले में लिप्त आतंकियों के संपर्क में रह चुके हैं।