फिलिस्तीन की अर्थव्यवस्था विदेशी नोटों पर निर्भर, खुद की मुद्रा नहीं

तेल अवीव
फिलिस्तीन बीते 77 सालों से जंग का मैदान बना हुआ है। 7 अक्तूबर 2027 से तो फिलिस्तीन के एक हिस्से गाजा पर इजरायल के जोरदार हमले जारी हैं और यह इलाका लगभग बर्बाद हो चुका है। इसके अलावा फिलिस्तीन के ही एक हिस्से वेस्ट बैंक की भी हालत खराब है। यही नहीं फिलिस्तीन दुनिया का ऐसा मुल्क है, जिसके पास अपनी कोई करेंसी तक नहीं है। यह स्थिति आज से नहीं है बल्कि 70 सालों से अधिक समय से बनी हुई है। फिलहाल फिलिस्तीन की कोई करेंसी नहीं है और उसका कामकाज इजरायल समेत तीन देशों के नोटों से चलता है। शेयर बाजार, अर्थव्यवस्था, केंद्रीय बैंक जैसी कोई व्यवस्था फिलिस्तीन के पास नहीं है।
हालांकि फिलिस्तीन मौद्रिक प्राधिकरण उसके आर्थिक मामलों को देखता है। यह 1994 में स्थापित किया गया था और इसका मुख्यालय रामल्ला में है। इसी साल यानी 1994 में ही तय पेरिस प्रोटोकॉल के तहत फिलिस्तीन के पास अपनी कोई मुद्रा जारी करने का अधिकार नहीं है। इस तरह फिलिस्तीन में इजरायली करेंसी शेकेल का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा अमेरिकी डॉलर और जॉर्डन की करेंसी दीनार का भी यहां इस्तेमाल होता है। खासतौर पर गाजा इलाके में तो इजरायल की करेंसी ही प्रयोग की जाती है। इसके अलावा वेस्ट बैंक में जॉर्डन का दीनार चलता है।
अब अमेरिकी डॉलर की बात करें तो इसका इस्तेमाल विदेशी चीजों के आयात में होता है। इसका मैनेजमेंट और भंडारण का काम PMA यानी फिलिस्तीन मौद्रिक प्राधिकरण के पास है। दरअसल 1918 तक फिलिस्तीन पर ऑटोमन साम्राज्य का शासन चलता था। इसके बाद यह ब्रिटिश शासन के अधीन गया तो फिलिस्तीन पाउंड शुरू किया गया। यह 1 नवंबर 1927 से 14 मई, 1948 तक चला। इजरायल भी 1948 में ही अस्तित्व में आया था। उसके गठन के बाद फिलिस्तीन और इजरायल की एक साझा करेंसी 1952 तक रही। फिर फिलिस्तीन की करेंसी को समाप्त कर दिया गया। इसके अलावा इजरायली करेंसी को मान्यता है और उसे कई देश स्वीकार करते हैं।