मध्य प्रदेशराज्य

1 जुलाई 2025 को एक पेड़ माँ के नाम अभियान के अंतर्गत एक लाख पौधे रोपने का लक्ष्य निर्धारित किया गया

भोपाल
लोक निर्माण विभाग अब निर्माण कार्यों के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और जल संसाधनों के स्थायी प्रबंधन की दिशा में प्रभावी प्रयास कर रहा है। विभाग द्वारा आगामी 1 जुलाई 2025 को “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के अंतर्गत एक लाख पौधे रोपने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह वृक्षारोपण कार्यक्रम स्कूलों में संचालित ‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान से भी समन्वित रहेगा। विभाग ने अभियंताओं को वृक्षारोपण स्थलों की पहचान, पौधों की उपयुक्त प्रजातियों के चयन तथा जिम्मेदारियों के निर्धारण के निर्देश दिए हैं।

विभाग ने हरियाली को संरक्षित करने के लिए पेड़ों के स्थानांतरण यानि ट्री-शिफ्टिंग की नीति को अपनी दर सूची एसओआर में शामिल किया है। इसके तहत निर्माण कार्यों के दौरान पेड़ों को काटने के बजाय सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है। भोजपुर–बंगरसिया मार्ग के 4 लेन चौड़ीकरण कार्य में 450 से अधिक पेड़ों को शिफ्ट किया जाएगा। अन्य निर्माण परियोजनाओं में भी इस नीति को अपनाया जा रहा है, जिससे हरियाली को संरक्षित रखा जा सके।

जल संरक्षण की दिशा में विभाग द्वारा सड़क किनारे रिचार्ज बोर के निर्माण की योजना भी लागू की जा रही है। इस योजना का उद्देश्य वर्षा जल को सीधे भूगर्भ में पहुंचाकर ग्राउंड वाटर रिचार्ज को बढ़ावा देना है। एलिवेटेड कॉरिडोर सहित सभी वर्तमान और निर्माणाधीन फ्लाईओवर एवं आरओबी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था अनिवार्य की गई है, जिससे वर्षा जल का समुचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

विभाग द्वारा ‘लोक कल्याण सरोवर’ योजना के अंतर्गत जल संरक्षण को नई दिशा दी जा रही है। सड़क निर्माण में उपयोग की गई मिट्टी के खुदाई स्थलों को स्थायी जल संरचनाओं में बदला जा रहा है। इन सरोवरों को वैज्ञानिक तरीके से डिजाइन किया जा रहा है, साथ ही सौंदर्यीकरण, वृक्षारोपण, सूचना पटल की स्थापना और जियो-टैगिंग जैसी व्यवस्थाएं भी सुनिश्चित की जा रही हैं। विभाग ने 500 लोक कल्याण सरोवरों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया है।

पर्यावरणीय दृष्टिकोण से एक और महत्वपूर्ण पहल करते हुए लोक निर्माण विभाग ने हरित भवनों के निर्माण की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं। अब विभागीय भवनों में ऊर्जा दक्ष डिज़ाइन, पर्यावरण अनुकूल निर्माण सामग्री के उपयोग को अनिवार्य बनाया जा रहा है इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ भवनों की दीर्घकालिक परिचालन लागत में भी उल्लेखनीय कमी आएगी। इन समस्त पहलों से यह स्पष्ट है कि लोक निर्माण विभाग न केवल प्रदेश में सड़कों और भवनों का निर्माण कर रहा है, बल्कि पर्यावरण और जल संरक्षण के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

 

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