सोयाबीन की फसल से अब जिले के किसानों का मोह भंग, किसान अब मक्का की फसल करने में अधिक रूचि ले रहे

शिवपुरी
सोयाबीन की फसल से अब जिले के किसानों का मोह भंग हो गया है. किसान अब मोटे अनाज यानी मक्का की फसल करने में अधिक रूचि ले रहे हैं. इसकी वजह पिछले कुछ समय में इसकी बढ़ती मांग के साथ ही सोयाबीन की तुलना में इसकी देखरेख आसान होना है. इसी कारण सोयाबीन का रकबा पिछले दो साल में घटकर आधा रह गया है.
जिले का किसान वैसे तो बाजरा, मक्का, सोयाबीन, उड़द फसलों की खेती करते हैं, लेकिन अच्छे दाम के मोह में पहले किसान सोयाबीन की खेती सबसे अधिक करते थे. सोयाबीन का कुल रकबा एक लाख 65 हजार हेक्टेयर था. सोयाबीन बाजार में 4 हजार से 4200 रुपये क्विंटल के हिसाब से बिकती है. हालांकि सोयाबीन की फसल में कीड़े लगने का खतरा अधिक होता है, जिससे देखरेख अधिक करना पड़ता है. फसलों को बचाने में भी काफी खर्च करना पड़ता है. एक बीघा में महज दो से ढाई क्विंटल सोयाबीन होता है.
कृषि विकास केंद्र शिवपुरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. एमके भार्गव ने बताया, "बीते दो साल में जिले में किसानों की रुचि में बदलाव आया है. किसान अब सोयाबीन की जगह मक्का की फसल अधिक उगा रहे हैं. जिसका परिणाम है कि सोयाबीन का रकबा अब महज 80 हजार हेक्टेयर रह गया है. इसकी वजह ये है कि मक्का की मांग तेजी से बढ़ी है. किसानों को सोयाबीन की फसल के भाव तो अधिक मिलते हैं, लेकिन इसका उत्पादन कम होता है. इसके मुकाबले मक्का के दाम कम मिलते हैं, लेकिन उत्पादन अधिक होता है."
उदाहरण के लिए सोयाबीन की एक क्विटंल फसल 4 हजार में बिकती है, जबकि मक्का की दो हजार क्विंटल में बिकती है. लेकिन एक बीघा खेत में केवल ढाई क्विंटल सोयाबीन होता है, वहीं मक्का 8 से 12 क्विंटल तक होती है. ऐसे में उत्पादन अधिक होने से किसान को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है, साथ ही मक्का में कीड़े लगने की टेंशन भी नहीं होती है.
2025 के लक्ष्य से समझें किसका रकबा कितना बढ़ा या घटा
फसल | रकबा |
धान | 45 हजार हेक्टेयर |
ज्वार | 400 हेक्टेयर |
बाजरा | 7 हजार हेक्टेयर |
मक्का | 85 हजार हेक्टेयर |
तुअर | 1 हजार हेक्टेयर |
उड़द | 25 हजार हेक्टेयर |
मूंग | 3500 हेक्टेयर |
मूंगफली | 1 लाख 90 हजार हेक्टेयर |
तिल | 3200 हेक्टेयर |
सोयाबीन | 80 हजार हेक्टेयर |
कुल | 440100 हेक्टेयर |
जिले में सोयाबीन का रकबा पहले एक लाख 65 हजार हेक्टेयर था, लेकिन बीते कुछ सालों में रकबा घटकर 80 हजार हेक्टेयर रह गया है. इसकी जगह मक्का का रकबा बढ़कर अब 85 हजार हेक्टेयर हो चुका है. किसानों को मक्का का उत्पादन अधिक मिलता है, साथ ही कीड़ों की चिंता भी नहीं होती है. ये बदलाव केवल शिवपुरी ही नहीं बल्कि अशोक नगर और गुना में भी आया है.