मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को NHAI ने किया ब्लैकलिस्ट

नई दिल्ली
कश्मीर में इन दिनों जोजिला टनल (Zojila Tunnel) बनाने का काम चल रहा है। यह काफी चुनौतीपूर्ण कार्य माना जाता है। इस सुरंग को बनाने वाली कंपनी का नाम मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) है। हैदराबाद मुख्यालय वाली इसी कंपनी को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने ब्लैकलिस्ट कर दिया है। जी हां, एनएचएआई ने मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर पर एक साल के लिए टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने से ही रोक लगा दी है। इसका मतलब है कि MEIL अब एक साल तक NHAI के किसी भी नए प्रोजेक्ट के लिए बोली नहीं लगा पाएगी।
क्यों हुई कार्रवाई
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एमईआईएल पर यह कार्रवाई केरल में NH-66 के चेंगला-नीलेश्वरम सेक्शन में सड़क के किनारे ढलानों को ठीक से सुरक्षित नहीं करने और पानी की निकासी का सही सिस्टम नहीं बनाने की वजह से की गई है। आसान भाषा में कहें तो, MEIL को सड़क के किनारे की मिट्टी को गिरने से बचाने और बारिश के पानी को निकालने का काम ठीक से करना था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। NHAI ने MEIL को एक नोटिस भेजा है। इसमें पूछा गया है कि उन्हें एक साल के लिए क्यों न बैन कर दिया जाए। साथ ही, उन पर 9 करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
कंपनी को मिला था यह काम
MEIL को NH-66 के 77 किलोमीटर लंबे चेंगला-नीलेश्वरम से थालिपरम्बा तक के हिस्से को चौड़ा करने का काम मिला था। यह प्रोजेक्ट हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (HAM) के तहत किया जा रहा था। HAM का मतलब है कि कंपनी को सड़क बनाने के साथ-साथ 15 साल तक उसकी देखभाल भी करनी होगी। अब MEIL को अपने खर्च पर ढलानों को फिर से ठीक करना होगा। यानी, जितना भी नुकसान हुआ है, उसे MEIL ही ठीक करेगी। अधिकारियों ने MEIL को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसमें एक साल के लिए बैन लगाने और 9 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने की बात कही गई है।
जांच के लिए कमेटी
इस मामले की जांच के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई है। इसमें सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) के एक सीनियर वैज्ञानिक, IIT-पलक्कड के एक रिटायर्ड प्रोफेसर और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) के एक्सपर्ट शामिल हैं। यह कमेटी देखेगी कि डिजाइन कैसा था, निर्माण की क्वालिटी कैसी थी और क्या सुधार किया जा सकता है। NHAI ने कहा है कि वे सभी जरूरी कदम उठा रहे हैं ताकि आगे से ऐसे प्रोजेक्ट में सुरक्षा और जवाबदेही बनी रहे। यानी, NHAI यह सुनिश्चित करना चाहती है कि भविष्य में जो भी सड़कें बनें, वे सुरक्षित हों और अगर कोई गलती करे तो उसकी जिम्मेदारी तय की जा सके।
पहले भी हुआ है विवाद
मई के महीने में महाराष्ट्र में मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) ने 14,000 करोड़ रुपये के दो बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के टेंडर रद्द कर दिए थे। ऐसा सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद हुआ। इन प्रोजेक्ट के ठेके मेघा इंजीनियरिंग को दिए गए थे, जिस पर काफी विवाद हुआ था। L&T नाम की एक कंपनी ने MMRDA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस किया था। L&T का कहना था कि मुंबई के कोस्टल रोड प्रोजेक्ट के दो जरूरी प्रोजेक्ट के लिए उनकी बोली को गलत तरीके से रिजेक्ट कर दिया गया। इन प्रोजेक्ट में गैमुख और फाउंटेन होटल जंक्शन के बीच एक रोड टनल और ठाणे-घोड़बंदर कॉरिडोर पर एक एलिवेटेड रोड बनाना शामिल था। टनल रोड प्रोजेक्ट के लिए जुलाई 2024 में L&T, MEIL और तीन अन्य कंपनियों ने बोली लगाई थी। L&T की बोली को टेक्निकल जांच के दौरान ही रिजेक्ट कर दिया गया था। इसके बाद L&T ने बॉम्बे हाई कोर्ट में फिर से विचार करने के लिए अर्जी दी, लेकिन 20 मई, 2025 को उसे खारिज कर दिया गया। MMRDA ने MEIL को सफल बोली लगाने वाला घोषित कर दिया। इसके बाद L&T ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दिया। इसमें L&T ने कहा कि MEIL की बोली 3,100 करोड़ रुपये ज्यादा थी, फिर भी उसे चुना गया। L&T का कहना था कि जब उनकी बोली कम थी, तो उन्हें प्रोजेक्ट क्यों नहीं दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को देखने के बाद हैरानी जताई। कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने पब्लिक के पैसे का गलत इस्तेमाल किया है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि ज्यादा बोली लगाने वाली कंपनी को ठेका क्यों दिया गया। इसके बाद MMRDA ने 30 मई को टेंडर रद्द करने का फैसला किया।
चुनावी बॉन्ड के लिए चर्चा में रही है कंपनी
साल 2024 में मेघा इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने वाली बड़ी कंपनी के तौर पर पहचाना गया। इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के डेटा के मुताबिक, मेघा इंजीनियरिंग ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) को लगभग 60% चंदा दिया, जो कुल 966 करोड़ रुपये था। डेटा के अनुसार, MEIL ने एक-एक करोड़ रुपये के कुल 966 बॉन्ड खरीदे, जिनमें से ज्यादातर 584 बॉन्ड BJP को गए। भारत राष्ट्र समिति को 195 बॉन्ड, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम को 85 बॉन्ड और YSR कांग्रेस पार्टी को 37 बॉन्ड मिले। इसके अलावा, तेलुगु देशम पार्टी को 28 बॉन्ड, INC को 18 बॉन्ड, बिहार प्रदेश जनता दल को 10 बॉन्ड, जनता दल को पांच बॉन्ड और जनसेना पार्टी को चार बॉन्ड मिले। MEIL की एक सहायक कंपनी, एवे ट्रांस प्राइवेट ने 6 बॉन्ड खरीदे, जिनकी कीमत 1 करोड़ रुपये प्रति बॉन्ड थी। ये सभी बॉन्ड भारत राष्ट्र समिति को दिए गए। इसके अलावा, कंपनी की एक और सहायक कंपनी, SEPC पावर ने 40 बॉन्ड खरीदे, जिनकी कीमत 1 करोड़ रुपये प्रति बॉन्ड थी।