कंबोडिया में नागरिकता कानून में बड़ा बदलाव, संसद ने सरकार को दिए विशेष अधिकार

कंबोडिया
कंबोडिया की संसद ने एक संविधान संशोधन पारित किया है, जिससे सरकार को अब देश विरोधी साजिश रचने वालों की नागरिकता रद्द करने का अधिकार मिल जाएगा। प्रधानमंत्री हुन मानेट ने इसे देश की सुरक्षा के लिए ज़रूरी बताया, जबकि आलोचकों ने इसे विपक्ष और आलोचकों को दबाने की कोशिश कहा।
कंबोडिया की संसद ने शुक्रवार को एक संविधान संशोधन को पारित किया, जो सरकार को उन लोगों की नागरिकता रद्द करने का अधिकार देगा जो विदेशी ताकतों से मिलकर देश के हितों को नुकसान पहुंचाने के दोषी पाए जाएंगे। 125 सदस्यीय नेशनल असेंबली ने सर्वसम्मति से संविधान के अनुच्छेद 33 में संशोधन को मंजूरी दी। इस बदलाव के बाद सरकार अब ऐसा कानून बना सकेगी जो पहली बार किसी व्यक्ति की नागरिकता को रद्द करने की अनुमति देगा।
प्रधानमंत्री हुन मानेट के समर्थकों की ओर से लाए गए इस कानून को आलोचकों ने सरकार के विरोधियों को दबाने और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को खत्म करने की कोशिश बताया है। यह कानून उन लोगों पर भी लागू होगा जो जन्म से कंबोडियाई नागरिक हैं, दोहरी नागरिकता रखते हैं या जिन्हें विदेशी होते हुए भी कंबोडियाई नागरिकता दी गई है। सरकार के कुछ आलोचक और विपक्षी नेता दोहरी नागरिकता वाले माने जाते हैं।
कंबोडिया के न्याय मंत्री कोएउत रिथ ने कहा कि सरकार जल्द ही ऐसा कानून तैयार करेगी, जिससे देशद्रोह या विदेशी ताकतों से सांठगांठ करने वाले किसी भी व्यक्ति की नागरिकता रद्द की जा सकेगी। उन्होंने दावा किया कि कुछ कंबोडियाई नागरिकों ने एक अन्य देश के साथ मिलकर अपने देश को नुकसान पहुंचाया है। उनकी यह टिप्पणी 28 मई को कंबोडिया और थाईलैंड की सेनाओं के बीच सीमा विवाद में हुई झड़प की ओर इशारा करती है, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया था।
थाईलैंड की सांविधानिक अदालत ने हाल ही में प्रदानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा को एक ऑडियो लीक को लेकर निलंबित कर दिया, जिसमें उन्हें कंबोडियाई सीनेट के अध्यक्ष हुन सेन के साथ सीमा विवाद पर चर्चा करते सुना गया था। हुन सेन प्रधानमंत्री हुन मानेट के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री हैं। इस लीक कॉल के बाद थाईलैंड में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई और प्रधानमंत्री शिनावात्रा की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठने लगे।
पिछले महीने कंबोडिया ने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से सीमा विवाद को सुलझाने की अपील की थी, जिसमें कई प्राचीन मंदिर स्थल शामिल हैं। संविधान संशोधन उस समय आया, जब हुन सेन ने न्याय मंत्रालय से सरकार की आलोचना करने वालों के खिलाफ कानूनी विकल्प तलाशने को कहा। हुन सेन और हुन मानेट दोनों ने इस बदलाव को आवश्यक बताया और कहा कि दुनिया के कई देशों, जिनमें अमेरिका भी शामिल है, में ऐसे कानून मौजूद हैं।