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जेनिफर सायमंस बनीं दक्षिण अमेरिकी देश सूरीनाम की पहली महिला राष्ट्रपति

पारामरिबो

दक्षिण अमेरिकी देश सूरीनाम में पहली बार महिला राष्ट्रपति बनी हैं। संसद ने (स्थानीय समयानुसार) को डॉक्टर जेनिफर गेर्लिंग्स-सिमंस को संकटग्रस्त देश की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में चुना। नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी का नेतृत्व करने वाली जेनिफर 16 जुलाई को राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगी। 

सूरीनाम की नेशनल असेंबली दो-तिहाई मतों से राष्ट्रपति का चुनाव करती है। जेनिफर, जो पहले कांग्रेसी थीं- ने निर्विरोध चुनाव जीता, क्योंकि उनकी पार्टी ने मई में हुए चुनाव के बाद देश के मौजूदा नेता को हटाने के उद्देश्य से एक गठबंधन बनाया था, जिसमें कोई स्पष्ट विजेता नहीं था। यह गठबंधन ऐसे समय में बना है, जब सूरीनाम को समुद्र के किनारे तेल मिलने की उम्मीद है और 2028 तक इसका उत्पादन शुरू हो सकता है। 

पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में जिम्मेदारी और भी बढ़ी: जेनिफर
राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद जेनिफर ने कहा, 'मुझे पता है कि राष्ट्रपति का पद बहुत बड़ा है, और इस तथ्य से जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है कि मैं इस पद पर देश की सेवा करने वाली पहली महिला हूं।' बता दें कि सूरीनाम 646,000 से अधिक लोगों वाला डच-भाषी देश है। 

भ्रष्टाचार के मामलों से भरा रहा संतोखी का कार्यकाल 
राष्ट्रपति चंद्रिकाप्रसाद संतोखी का पांच साल का कार्यकाल भ्रष्टाचार के मामलों से भरा रहा है। उन्हें सूरीनाम की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मदद मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके चलते देश के सार्वजनिक कर्ज का बड़े पैमाने पर पुनर्गठन किया गया और सरकारी सब्सिडी में कटौती की गई। इससे आर्थिक हालात थोड़े सुधरे, लेकिन आम लोगों को बहुत मुश्किलें झेलनी पड़ीं और कई बार हिंसक प्रदर्शन भी हुए।

जेनिफर की प्राथमिकता- देश की आर्थिक स्थिति सुधारना
71 वर्षीय जेनिफर और उनके साथी ग्रेगरी रुसलैंड ने रविवार को पत्रकार वार्ता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वे सबसे पहले देश की आर्थिक स्थिति को सुधारेंगे। उन्होंने खासतौर पर छोटे स्तर की सोने की खदानों से टैक्स वसूलने जैसे तरीकों से सरकारी कमाई बढ़ाने की बात कही है।

तेल निकलने से पहले करना होगा चुनौतियों का सामना: रामौतारसिंह
सूरीनाम के अर्थशास्त्रियों के संघ के पूर्व अध्यक्ष विंस्टन रामौतारसिंह ने कहा कि तेल निकलने से पहले के इन वर्षों में राष्ट्रपति को बहुत चुनौतियों का सामना करना होगा, क्योंकि देश को हर साल लगभग 400 मिलियन डॉलर का कर्ज और ब्याज चुकाना है। उन्होंने कहा, 'सूरीनाम के पास इतना पैसा नहीं है। पिछली सरकार ने ऋणों को पुनर्निर्धारित किया था, लेकिन वह सिर्फ एक अस्थायी रा

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