मध्य प्रदेशराज्य

प्रदेश में सड़कों को प्रदूषण मुक्त बनाये रखने के लिये एनआईसी के वाहन पोर्टल पर ग्रीन सर्विस शुरू की गई

भोपाल

प्रदेश में सड़कों को प्रदूषण मुक्त बनाये रखने के लिये नेशनल इन्फॉर्मेशन सेंटर (एनआईसी) के वाहन पोर्टल पर हरित सेवा (ग्रीन सर्विस) शुरू की गई है। जिसके माध्यम से वाहनों के रेट्रोफिटमेंट कराये जाने वाली सीएनजी किट के प्रमाणित होने की पुष्टि रहती है। वाहन पोर्टल का संचालन परिवहन विभाग द्वारा किया जा रहा है।

प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र

राज्य में वाहनों से उत्सर्जित होने वाली हानिकारक गैसों पर नियंत्रण के लिये प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र प्राप्त करना अनिवार्य किया गया है। प्रदेश में समस्त वाहन प्रदूषण जांच केन्द्रों को एनआईसी के पीयूसीसी पोर्टल के साथ इंटीग्रेट किया जाकर पारदर्शी रूप से ऑनलाइन प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र जारी किया जाना सुनिश्चित किया जा रहा है। ऑनलाइन पीयूसीसी (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट) जारी होने से उनका डेटा वाहन पोर्टल पर प्रदर्शित होने लगा है। इस सुविधा से चेकिंग अधिकारी द्वारा प्रमाण पत्र मांगे जाने पर वाहन स्वामी द्वारा ऑनलाइन अथवा इलेक्ट्रॉनिक रूप में दिखाया जा सकता है।

हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट

प्रदेश में वाहनों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए परिवहन विभाग द्वारा वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) लगाने का कार्य वाहन डीलर के माध्यम से किया जा रहा है। प्रदेश में अब तक करीब 7 लाख पुराने रजिस्टर्ड वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगवाई जा चुकी है। हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगने से वाहन चोरी की दशा में इसे ट्रेस किया जाना सरल हो जाता है।

ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन

सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अनफिट वाहनों के संचालन पर प्रभावी रोक लगाये के प्रयास परिवहन विभाग द्वारा किये जा रहे हैं। इस उद्देश्य से केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा वाहनों के स्वचलित परीक्षण (ऑटोमेटेड टेस्टिंग) के बाद ही फिटनेस प्रमाण-पत्र जारी किया जाना अनिवार्य किया गया है। वाहनों की मानव हस्तक्षेप रहित पारदर्शी तरीके से फिटनेस जाँच करने के लिये ग्वालियर, इंदौर और भोपाल में ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) क्रियाशील हो गये हैं। इसी के साथ प्रदेश के 22 जिलों में ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन बनाये जाने के लिये प्राथमिक पंजीयन प्रमाण-पत्र जारीकिये गये हैं।

ड्राइविंग प्रशिक्षण सेंटर

प्रदेश में प्रतिवर्ष होने वाली औसतन 50 हजार सड़क दुर्घटनाओं में 78 प्रतिशत सड़क दुर्घटना वाहन चालक की गलती के कारण होती है। सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के उद्देश्य से वाहन चालकों को प्रशिक्षण देने के लिये 3 स्तर प्रादेशिक, संभागीय और जिला स्तर पर प्रशिक्षण केन्द्रो की स्थापना करने का निणर्य लिया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश के इंदौर और छिंदवाड़ा में इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एण्ड रिसर्च सेंटर संचालित किये जा रहे है। इसके अलावा छतरपुर और 10 अन्य स्थानों पर ड्राइविंग इंस्टीट्यूट शुरू किये जाने के प्रयास किये जा रहे है।

 

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button