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एक हजार तीन सौ पचास किलो घी बेचकर का कमाए 11 लाख रुपए, ग्राम सारसवानी की महिलाएं बनी आत्मनिर्भर, बनाया अनूठा रिकार्ड

छिन्दवाड़ा: मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा संचालित ग्रामीण होम स्टे योजना ने ग्रामीणों के लिए स्वरोजगार के रास्ते खोल दिए हैं, जिसका फायदा महिलाओं को भी मिल रहा है। होम स्टे संचालन में महिलओं का पूरा योगदान है और पर्यटन ग्राम सावरवानी में महिलाएं शुद्ध देशी घी बेचकर हजारों रूपए कमा रही हैं। बीते दो सालों में सावरवानी में पर्यटकों को एक हजार तीन सौ पचास किलो घी बेचा जा चुका है, जिससे गांव में करीबन 11 लाख रूपए की आमदनी हुई है। यहां की महिलाएं अपने घर के आंगन में उगाए गए पपीते, खेतों में उगी सब्जियां और दाल बेचकर आत्मनिर्भर बनी हुई है।

मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा विकसित किए गए छिंदवाड़ा के सभी पर्यटन ग्रामों में महिला आत्मनिर्भरता के बेहतरीन उदाहरण देखने को मिल रहे हैं। सावरवानी में महिलाएं पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करती हैं और पर्यटकों को दी जाने वाली सारी सुविधाओं, ग्राम की सफाई में भी उनका योगदान रहता है। यहां महिलाओं ने एक नया कीर्तिमान शुद्ध देशी घी बेचकर रचा है। सावरवानी में महिलाएं सुबह-सुबह दूध से मख्खन निकालकर और मख्खन से घी निकालने का कार्य करतीं हैं। घर के आंगन में बिल्कुल देसी अंदाज में पर्यटकों के सामने ही घी निकाला जाता है और कई बार पर्यटक भी इस प्रक्रिया का आनंद उठाते हैं।
सावरवानी के घी की धूम देश-विदेश में है, जिसका उदाहरण यहां हुई घी की बिक्री है। बीते दो सालों में श्रीमती चंद्रा बाई, श्रीमती शांति बाई, श्रीमती शारदा बाई, श्रीमती सरस्वती बाई, श्रीमती सिमिया बाई, श्रीमती राधा बाई, श्रीमती कला बाई ने पर्यटकों को एक हजार तीन सौ पचास किलो घी बेचा है। यह अपने आप में एक अनूठा रिकार्ड है। आठ सौ रूपए प्रतिकिलो के मान से बिके घी की कुल कीमत 01 लाख 80 हजार रूपए होती है। देश व प्रदेश से पर्यटन ग्राम सावरवानी घूमने आए कई आईएएस अधिकारी, दिल्ली-चंडीगढ़, महाराष्ट्र-गुजरात के व्यापारियों के साथ यहां आने वाले नौकरीपेशा पर्यटक खाने में घी मिलने पर इसके स्वाद को भूल नहीं पाए और कुछ मर्तबा ऐसा भी हुआ कि गांव में जितना भी घी था, पूरा ही खरीद कर ले गए। इसी से यहां घी की बिक्री का रिकार्ड बन गया है। इसके अलावा सावरवानी आने वाले पर्यटक यहां से घर के आंगन में उगाए गए पपीते और सब्जियां, लकड़ी के खिलौने भी खरीद कर ले जाते हैं, जो महिलाओं की देखरेख में उगाए व बनाए जाते हैं।
यहां उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि छिंदवाड़ा के पर्यटन ग्राम सावरवानी, चिमटीपुर, घटलिंगा में शत-प्रतिशत व अन्य गांवों सहित अधिकांश होम स्टे का रजिस्ट्रेशन महिलाओं के नाम पर किया गया है, जो महिला सशक्तिकरण का अनुपम उदाहरण है।

छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने बताया कि महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़-चढक़र कार्य कर रहीं हैं। सावरवानी में शुद्ध देशी घी की बिक्री करके महिलाओं को अपनी व परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है। छिंदवाड़ा में महिला स्वसहायता समूह द्वारा शहद, महुआ कुकीज, महुआ लड्डू, चार चिरौंजी को बाजार में ऑनलाइन उपलब्ध करवाया गया है, जो आत्मनिर्भर महिलाओं की पहचान है।

वहीं म.प्र. टूरिज्म बोर्ड एएमडी बिदिशा मुखर्जी का कहना है कि मध्य प्रदेश में सबसे अधिक होम स्टे छिंदवाड़ा में हैं और होम स्टे संचालन में महिलाएं बेहतरीन कार्य कर रहीं हैं। सावरवानी में महिलाएं जैविक खेती के माध्यम से उगाए गई दाल, फल व अपने हाथों से बनाए खिलौने की बिक्री करके स्वरोजगार से जुड़ रहीं हैं। यहां पर हजारों रूपए के शुद्ध देशी घी का अनूठा कारोबार करके महिलाओं ने प्रदेश का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है।

 

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