एक वीरान पहाड़ी और एक व्रती साधक… आखिर कैसे बना ‘हुड़केश्वर धाम’?

सौसर (मध्य प्रदेश) सौसर से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक ऊंची और कठिन पहाड़ी पर श्रद्धा और तपस्या की मिसाल बनकर उभरा है हुड़केश्वर धाम, जहां मां का भव्य दरबार हर दिन भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।

इस पावन स्थल की आधारशिला रखी थी राजेश भाऊराव हुडकर ने, जिन्होंने सन 1984 में अपने धार्मिक संकल्प के साथ मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ किया था। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मां की सेवा और धर्म कार्यों को समर्पित कर दिया।
अपने कंधों पर उठाई आस्था की जिम्मेदारी
राजेश हुडकर ने बिना किसी सरकारी या बड़ी संस्थागत सहायता के अपने सिर पर सीमेंट, ईंट, लोहा और गिट्टी लेकर इस ऊंची पहाड़ी पर मंदिर निर्माण कार्य की शुरुआत की। उनकी अथक मेहनत और दृढ़ संकल्प से प्रेरित होकर अब कई श्रद्धालु भी इस पुनीत कार्य में सहयोग कर रहे हैं।
नवरात्रि में रहता है भक्तों का तांता
नवरात्रि के पावन अवसर पर नौ दिनों तक यहां भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। श्रद्धालु स्वेच्छा से भंडारे का आयोजन करते हैं, जिससे यह स्थल भक्ति और सेवा का संगम बन चुका है।
धार्मिक केंद्र के रूप में उभरता हुड़केश्वर धाम
हुड़केश्वर धाम में स्थापित की गई हैं —
- 12 ज्योतिर्लिंग,
- काली माता,
- और अन्य देवी-देवताओं की भव्य मूर्तियां,
जो श्रद्धालुओं की आस्था को और प्रगाढ़ करती हैं। वर्तमान में भी यहां मंदिर विस्तार और सौंदर्यीकरण का कार्य जारी है। हुड़केश्वर धाम न केवल एक मंदिर है, बल्कि यह मानव संकल्प, तपस्या और निःस्वार्थ भक्ति की जीती-जागती मिसाल है। जो लोग सच्चे मन से मां के दर्शन और शांति की तलाश में हैं, उनके लिए यह धाम एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है ।



