“खाद के लिए परेशान किसान, सुबह से गोदामों पर लगी कतारें — प्रशासन की अपील: ‘घबराएं नहीं, पर्याप्त स्टॉक मौजूद है'”

छिंदवाड़ा- अन्नदाता कहे जाने वाले किसान इन दिनों खेतों में यूरिया खाद की कमी से जूझ रहे हैं। एक ओर राज्य सरकार किसानों की भलाई के लिए योजनाओं की झड़ी लगा रही है, तो दूसरी ओर ज़मीनी हालात चिंताजनक हैं। खेतों में फसलें तैयार हैं, लेकिन किसानों को यह तक नहीं बताया जा रहा कि किस फसल में कितनी मात्रा में यूरिया देना उचित होगा। नतीजा यह है कि किसान खाद के लिए दर-दर भटक रहे हैं, और प्रशासन व्यवस्था बनाने की मशक्कत में जुटा है, परंतु फिलहाल राहत मिलती नहीं दिख रही।
आज 28 जुलाई को तड़के, परासिया रोड स्थित कोल्ड स्टोरेज के पास डीएपी और यूरिया खाद गोदाम पर भारी भीड़ देखी गई। बड़ी संख्या में किसान वहां पहुंचे और खाद वितरण को लेकर काफी गहमागहमी का माहौल बन गया।
इस विषय में जानकारी देते हुए उप संचालक कृषि, श्री जितेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि अब तक छिंदवाड़ा जिले को 97 हजार मीट्रिक टन यूरिया मिल चुका है, जो पिछले वर्ष के बराबर है। लगातार रैक (रेलगाड़ियाँ) आ रही हैं और बीते दो दिनों में ही 3,500 टन खाद जिले को प्राप्त हुआ है। इसके अलावा, तीन और रैक रास्ते में हैं, जिससे अगले तीन दिनों में लगभग 6,000 मीट्रिक टन अतिरिक्त खाद की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं, खाद की कोई कमी नहीं होगी। उन्होंने कहा—
“किसान भाई उतना ही खाद उठाएं जितनी वास्तविक आवश्यकता हो। पहले और दूसरे छिड़काव के बीच अंतराल रखें और एक साथ स्टॉक न करें। वन बाय वन खाद लें, सभी को पर्याप्त खाद उपलब्ध कराई जाएगी।“
प्रशासन की सच्चाई और किसान की जमीनी पीड़ा के बीच फंसी खेती
जहाँ एक ओर प्रशासन आश्वस्त कर रहा है कि खाद की कमी नहीं है, वहीं दूसरी ओर खेतों में खड़ी फसलें समय पर पोषण न मिलने से प्रभावित हो रही हैं। सही मार्गदर्शन और स्थानीय स्तर पर योजनाबद्ध वितरण प्रणाली की कमी अब किसानों को भारी पड़ रही है।
कृषि विभाग के लिए यह समय परीक्षा का है — क्या वे खाद वितरण को सुव्यवस्थित कर पाएंगे, या किसानों की यह अफरा-तफरी आने वाले दिनों में और बड़ा संकट बन जाएगी?




