सावन का पहला सोमवार कब है? जानें तिथि, मुहूर्त और जलाभिषेक समय

आषाढ़ पूर्णिमा के बाद भगवान शिव को समर्पित सावन का महीना शुरू होता है। इस महीने को महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए खास माना जाता है। इस दौरान रोजाना शिव भक्त शंकर जी की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कमान करते हैं। इस माह में पड़ने वाले सोमवार और मंगलवार का व्रत भी किया जाता है। इससे साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही विवाह में आ रही बाधा से छुटकारा मिलता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि कब से शुरू हो रहा है सावन (Sawan kab se start h) का महीना।
भक्त इस महीने में भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए सभी सोमवारों पर व्रत रखते हैं जिनको श्रावण सोमवार या सावन सोमवार व्रत के नाम से जाना जाता है. वहीं, कुछ भक्त 16 सोमवार के व्रत भी रखते हैं और 16 सोमवार की शुरुआत सावन मास के पहले सोमवार से ही होती है. इसके अलावा, श्रावण मास में माता पार्वती की उपासना की जाती है.
पहले सोमवार की पूजा के लिए शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:16 बजे से लेकर 5:04 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:05 से 12:58 तक
अमृत काल: दोपहर 12:01 से 1:39 बजे तक
प्रदोष काल: शाम 5:38 से 7:22 बजे तक
सावन 2025 तिथि
पंचांग के अनुसार, इस बार सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 के दिन समाप्त होगा. इस साल सावन रक्षाबंधन के दिन खत्म होगा, जो कि 9 अगस्त को ही है.
पूजा की शुरुआत करने से पहले दाहिने हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
सावन सोमवार की पूजा विधि
सावन सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्योदय से पहले उठें। स्नान करके शरीर और मन को शुद्ध करें। स्वच्छ और हल्के रंग के वस्त्र पहनें, विशेषतः सफेद या पीले रंग को शुभ माना जाता है। इसके बाद अपने घर के पूजा स्थान की सफाई करें और वहां गंगाजल या गौमूत्र का छिड़काव करें।
भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र पूजा स्थल पर रखें। एक थाली में पूजा की सारी सामग्री जैसे फूल, अक्षत (चावल), जल, पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा, भस्म, फल और मिठाई आदि सजा लें। दीपक और अगरबत्ती भी तैयार रखें।
पूजा की शुरुआत करने से पहले दाहिने हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
अब आप शिवलिंग का अभिषेक करें। पहले गंगाजल से स्नान कराएं, फिर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बना पंचामृत अर्पित करें। पुनः गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन और फूल अर्पित करें। भगवान गणेश और माता पार्वती की भी पूजा करें।
‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। चाहें तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। शिव चालीसा, रुद्राष्टक या शिव पुराण का पाठ करना भी अत्यंत पुण्यकारी होता है। धूप-दीप दिखाकर शिवजी की आरती करें।
भगवान को फल, मिठाई या जो भी आप बना सकें वह अर्पित करें। आरती के बाद सभी परिजनों में प्रसाद बांटें।
अगर आपने निर्जल व्रत रखा है, तो अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। उस दिन सात्विक भोजन करें और जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान करें।
जलाभिषेक का मुहूर्त- सावन के दिन आप सुबह 5 बजकर 33 मिनट से लेकर दोपहर तक जल चढ़ा सकते हैं.
इसके अलावा, 11 जुलाई से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में सावन शुरू होगा. वहीं, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, महाराष्ट्र, गुजराज, कर्नाटक और तमिलनाडु में सावन की शुरुआत 25 जुलाई से होगी और उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में सावन 16 जुलाई से शुरू होगा.
सावन के सभी सोमवारों की तिथि
पहला सावन सोमवार- 14 जुलाई, सोमवार
दूसरा सावन सोमवार- 21 जुलाई
तीसरा सावन सोमवार- 28 जुलाई
चौथा सावन सोमवार– 4 अगस्त
शिव जी के भक्तों के लिए सावन सोमवार के व्रतों की बहुत ज्यादा महत्वता है. इस सभी लोग माता पार्वती और भगवान शिव के लिए व्रत रखते हैं. इस दिन लोग पूजा के साथ साथ शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं, दूध, बेलपत्र और गंगाजल भी अर्पित करते हैं.
सावन शुभ योग
सावन की शुरुआत में इस बार कई सारे ग्रहों की चा बदलने जा रही है सूर्य, मंगल व शुक्र राशि परिवर्तन करेंगे. साथ ही, बुध और शनि वक्री चाल चलेंगे. इनके अलावा, कई शुभ योग शिव योग, प्रीति योग और आयुष्मान योग भी बनने जा जा रहे हैं.
सावन पूजन विधि
सावन के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्नान करके शिवजी के मंदिर जरूर जाएं. अगर आप घर के मंदिर में छोटे से शिवलिंग रखते हैं तो आप वहां भी पूजन कर सकते हैं. साथ ही शिवलिंग का जल और कच्चे दूध से अभिषेक अवश्य करना चाहिए. इनके अलावा आप चाहें तो दही, घी, शहद और गन्ने के रस से भी भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं. भगवान शिव का विशेष अभिषेक आप चाहे तो प्रतिदिन कर सकते हैं और नहीं तो सोमवार के दिन अवश्य करें. इससे भगवान शिव की विशेष कृपा आपको प्राप्त होगी और भगवान शिव के मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए जैसे नमः शिवाय, ऊं नमः शिवाय.