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दोषी संजय रॉय को जीवनभर जेल में ही रहना होगा, ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर केस में कोर्ट ने दी उम्रकैद

कोलकाता
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर के दोषी संजय रॉय की सजा का ऐलान हो गया है. कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई है. फैसले की सबसे अहम बात यह है कि दोषी संजय रॉय को जीवनभर जेल में ही रहना होगा. यह फैसला कोलकाता के सियालदाह की सत्र अदालत ने सुनाया है. इस मामले में पीड़िता डॉक्टर के परिवार सहित सीबीआई ने भी फांसी की सजा मांगी थी. हालांकि, अदालत ने फांसी की सजा न देकर उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने दोषी संजय पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. बता दें कि अदालत ने इस मामले को दुर्लभ नहीं माना. इसलिए फांसी की सजा नहीं सुनाई है.

सजा सुनाने से पहले जज ने संजय से कहा,'मैंने तुम्हें पहले ही बताया था कि तुम पर लगाए गए सभी आरोप जैसे बलात्कार और हत्या के आरोप साबित हो चुके हैं. संभावित सजा के बारे में तुम क्या कहना चाहोगे?' इस पर संजय ने कहा,'मुझे बिना किसी वजह के फंसाया गया है. मैं हमेशा रुद्राक्ष की माला पहनता हूं, अगर मैं अपराध करता तो क्राइम सीन में ही माला टूट जाती. मुझे बोलने नहीं दिया गया. कई कागजों पर जबरदस्ती साइन करवाए गए.'

कोलकाता रेप-मर्डर केस में संजय रॉय दोषी करार
संजय की दलील पर जज ने कहा,'मैंने तुम्हें, मुझसे बात करने के लिए करीब आधा दिन दिया था. मैंने तुम्हें 3 घंटे तक सुना. मेरे सामने जो भी आरोप, सबूत, दस्तावेज, गवाह पेश किए गए, उनकी जांच की गई और इनके आधार पर मैंने तुम्हें दोषी पाया है. तुम पहले ही दोषी साबित हो चुके हो. अब मैं सिर्फ सजा के बारे में तुम्हारी बात सुनना चाहता हूं. तुम्हारे परिवार में कौन-कौन है? क्या वे तुमसे संपर्क रखते हैं?' इस पर संजय ने कहा कि वह जब से जेल में है, उससे कभी कोई नहीं मिला.

सीबीआई के वकील ने दी यह दलील, मांगी फांसी
सीबीआई के वकील वे कहा कि यह दुर्लभ मामला है. पीड़िता मेधावी छात्रा थी. इस घटना ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है. माता-पिता ने अपनी बेटी खो दी है. अगर डॉक्टर सुरक्षित नहीं हैं तो क्या कहा जा सकता है? केवल फांसी की सजा ही समाज में विश्वास ला सकता है.

पीड़िता के परिवार ने कहा- कड़ी सजा दी जाए
संजय रॉय के वकील ने कहा कि यह दुर्लभ मामला नहीं है. मैं आपको केस रेफरेंस दे सकता हूं. सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सुधार के बारे में कहा है. फांसी के बजाय वैकल्पिक सजा पर विचार करना चाहिए. आपके समक्ष हमारी यही विनम्र प्रार्थना है. इस बीच पीड़ित ट्रेनी डॉक्टर के परिवार ने कहा है कि अदालत ने संजय रॉय को दोषी पाया है. इसलिए उसे उच्चतम यानी फांसी की सजा दी जानी चाहिए.

मुकदमा शुरू होने के 57 दिन बाद दोष साबित
बता दें कि कोलकाता के सियालदह की सत्र अदालत ने इस मामले में मुख्य आरोपी संजय रॉय को दो दिन पहले (18 जनवरी) दोषी करार दिया था. जज अनिर्बान दास ने संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा- 64 (बलात्कार के लिए सजा), 66 (मृत्यु का कारण बनने के लिए सजा) और 103 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया था. सियालदह कोर्ट के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने मुकदमा शुरू होने के 57 दिन बाद फैसला सुनाया था. जज ने संजय रॉय को दोषी ठहराते हुए अपनी टिप्पणी में कहा था, 'तुम्हें सजा मिलनी ही चाहिए.'

सभी सबूतों की बारीकी से जांच की: जज
संजय ने जज से पूछा था,'मुझे फंसाने वाले अन्य लोगों को क्यों छोड़ा जा रहा है?' इसके जवाब में जज अनिर्बान दास ने कहा था, 'मैंने सभी सबूतों की बारीकी से जांच की है और गवाहों को सुना है, मुकदमे के दौरान दलीलें भी सुनी हैं. इन सब से गुजरने के बाद मैंने तुम्हें दोषी पाया है. तुम दोषी हो. तुम्हें सजा मिलनी ही चाहिए.'

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