लाइफस्टाइल

सीबीएसई का नया सर्कुलर: उपस्थिति इतनी कम हुई तो 10वीं-12वीं बोर्ड एग्जाम नहीं दे पाएंगे छात्र

नई दिल्ली

 केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने एक बार फिर उन छात्रों को चेतावनी दी है, जो रेगुलर क्लासेस नहीं ले रहे. ऐसे छात्रों को सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में बैठने की परमिशन नहीं दी जाएगी. साथ ही जो स्कूल डमी स्कूल प्रणाली को बढ़ावा देंगे या गैर-हाजिर छात्रों को बोर्ड परीक्षा के लिए नामांकित करेंगे, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.

सीबीएसई के नियमित स्कूलों में न पढ़ने वाले छात्रों को कक्षा 12वीं बोर्ड परीक्षा देने से रोका जाएगा. अधिकारी ने बताया कि "डमी स्कूलों" में दाखिला लेने की जिम्मेदारी छात्रों और उनके माता-पिता की होगी.

बोर्ड परीक्षा नहीं दे पाएंगे स्कूल से 'गायब' छात्र
दरअसल, सीबीएसई अपनी परीक्षा नियमावली में संशोधन करने पर विचार कर रहा है. नए नियमों के अनुसार, डमी स्कूलों के छात्रों को बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं होगी. ऐसे छात्रों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) की परीक्षा देनी होगी. सीबीएसई के एक सीनियर ऑफिसर ने पीटीआई को बताया कि, अगर जांच के दौरान कोई छात्र स्कूल से अनुपस्थित पाया जाता है या नियमित कक्षाओं में नहीं जाता है, तो उसे बोर्ड परीक्षा देने से रोका जा सकता है."

बोर्ड परीक्षा के लिए 75% हाजिरी अनिवार्य
सीबीएसई गवर्निंग बोर्ड की बैठक में यह फैसला किया गया कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 से छात्रों के लिए कम से कम 75% उपस्थिति अनिवार्य होगी. एक सीबीएसई अधिकारी ने कहा, "सीबीएसई नियमों के अनुसार, केवल रजिस्ट्रेशन कर लेने से कोई छात्र बोर्ड परीक्षा के लिए योग्य नहीं होगा. उसे कम से कम 75% हाजिरी पूरी करनी होगी."

सिर्फ इन छात्रों को अटेंडेंस में 25% की छूट
जो छात्र सीबीएसई की उपस्थिति नीति के अनुसार योग्य नहीं होंगे, वे NIOS परीक्षा के जरिए बोर्ड परीक्षा दे सकेंगे. केवल चिकित्सा आपातकाल, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भागीदारी, या अन्य गंभीर परिस्थितियों में 25% उपस्थिति की छूट दी जाएगी.

डमी स्कूलों में दाखिला क्यों लेते हैं छात्र?
इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले कई छात्र डमी स्कूलों में दाखिला लेते हैं ताकि वे पूरी तरह से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर सकें. इसके अलावा, कुछ छात्र राज्य कोटा लाभ पाने के लिए भी डमी स्कूलों में नामांकन कराते हैं. उदाहरण के लिए, दिल्ली के मेडिकल कॉलेजों में दिल्ली राज्य कोटा पाने के लिए कई छात्र दिल्ली के डमी स्कूलों में नामांकन कराते हैं.

डमी स्कूलों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बन रही है क्योंकि ये छात्र नियमित कक्षाओं में शामिल नहीं होते और केवल बोर्ड परीक्षा के लिए स्कूल आते हैं. सीबीएसई जल्द ही NIOS के साथ मिलकर इस पर नए दिशा-निर्देश तैयार कर सकता है, जिन्हें अगले शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाएगा.

 

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button