मध्य प्रदेशराज्य

सिंहस्थ-2028 के लिए उज्जैन में बनेगा 29 किमी घाट,सीएम डॉ.मोहन यादव आज करेंगे भूमिपूजन

उज्जैन

उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे 864 करोड़ रुपए की लागत से करीब 29 किलोमीटर लंबे रिवर फ्रंट कॉरिडोर जैसे घाट बनाए जाएंगे। इन घाटों के निर्माण का भूमि पूजन आज दोपहर चार बजे मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव उज्जैन पहुंचकर करेंगे।

भूमि पूजन समारोह अंगारेश्वर मंदिर के सामने आयोजित होगा। इस मौके पर प्रभारी मंत्री गौतम टेट और जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट भी मौजूद रहेंगे। अंगारेश्वर मंदिर परिसर में 150 फीट लंबा और 60 फीट चौड़ा वाटरप्रूफ डोम बनाया गया है, जहां कार्यक्रम होगा।

घाट निर्माण में आधुनिक सुविधाएं होंगी शामिल

शिप्रा नदी के दोनों किनारों पर शनि मंदिर से नागदा बायपास तक घाट बनाए जाएंगे। इनमें सिद्धवट मंदिर, भर्तहरि गुफा, अंगारेश्वर मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, राम घाट, दत्त अखाड़ा, नृसिंह घाट, गुरुद्वारा घाट, भूखी माता घाट, गौ घाट, प्रशांति धाम घाट, त्रिवेणी संगम घाट, शनि मंदिर और कान्हा नदी के दोनों तट शामिल हैं।

इन घाटों का निर्माण रेड स्टोन से होगा और हर 500 मीटर पर 15 मीटर चौड़ा प्रवेश मार्ग तैयार किया जाएगा। घाटों पर पूजा के लिए कोणीय चबूतरे, आकर्षक लाइटिंग, चेंजिंग रूम, पीने के पानी की सुविधा और दिव्यांगों के लिए रैम्प बनाए जाएंगे।

हर घाट के प्रारंभ में 5 मीटर चौड़ा अपर लैंडिंग प्लेटफार्म होगा, इसके बाद करीब 3.5 मीटर चौड़ी सीढ़ियां और 6 मीटर चौड़ा लोअर लैंडिंग प्लेटफार्म बनेगा।

शिप्रा के राम घाट पर स्नान व दान पुण्य का महत्व

गौरतलब है कि उज्जैन में महाकुंभ के दौरान शिप्रा के श्री राम घाट पर स्नान दान पुण्य करने का अधिक महत्व है. लेकिन यहां जगह कम होने की वजह से भीड़ प्रबंधन में समस्या आती है. साल 2004 व 2016 के सिंहस्थ के दौरान कुछ घाटों का निर्माण किया गया. लेकिन अब मोहन यादव सरकार इसे और विस्तार देने जा रही है. प्लानिंग के अनुसार घाटों को 29 किलोमीटर तक स्थाई रूप से बनाया जाएगा. भूमिपूजन से पहले व्यवस्थाओं का जायजा लेने शुक्रवार को जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, विधायक सतीश मालवीय, महापौर मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति कलावती यादव पहुंचे.

सिंहस्थ 2028 में आने वाले श्रद्धालुओं को पर्याप्त जगह

महापौर मुकेश टेटवाल के अनुसार "देश में पहली बार 29 किलोमीटर लंबे स्थाई घाट होंगे, जिससे सिंहस्थ 2028 में श्रद्धालुओं को स्नान करने में परेशानी नहीं आएगी. ये घाट मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा अनुसार बन रहे हैं. क्योंकि देखने मे आया है कि प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक के कुम्भ में अस्थाई बालू रेत की बोरिया भरकर नदी किनारे रख स्नान की व्यवस्था की जाती है लेकिन उज्जैन में कालियादेह महल स्थल से लेकर शिप्रा नदी किनारे 29 किलोमीटर त्रिवेणी संगम तक घाट बनेंगे."

कालियादेह महल में प्राचीन काल से 52 कुंड

शिप्रा नदी किनारे बना कालियादेह महल भी तीर्थ स्थल क्षेत्र है. यहां प्राचीन काल से 52 कुंड बने हुए हैं. विशेष अमावस्या व अन्य पर्वों पर यहां स्नान के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं. सिद्धवट तीर्थ स्थल पित्रो के निमित्त तर्पण पूजन का एकमात्र पवित्र तीर्थ स्थान है. आत्मोलिंगेश्वर मंदिर के पास घाट, भर्तहरि गुफा के पास घाट, अंगारेश्वर मंदिर के पास एवं मंगलनाथ मंदिर घाट के तीर्थ स्थल और शिप्रा का श्री राम घाट, दत्त अखाड़ा घाट, नृसिंह घाट, गुरुद्वारा घाट, भूखीमाता घाट, प्रशांति धाम घाट, त्रिवेणी संगम. गोठड़ा से शनि मंदिर तक कान्हा नदी के दोनों तटों पर घाट. शिप्रा नदी के बाएं व दाएं तट पर, शनि मंदिर से नागदा बायपास तक, इस तरह सभी को एक करने की योजना है.

कितनी होगी घाटों की चौड़ाई और लंबाई

सिंहस्थ 2028 से पहले बनने वाले घाट की चौड़ाई 15.50 मीटर व 03 मीटर से अधिक की ऊंचाई रहेगी. बताया जा रहा है कि ये घाट बनने के बाद शिप्रा नदी जैसे किसी रिवर फ्रंट कॉरिडोर की तरह दिखाई देगी. घाट पर दो लैंडिंग व बीच मे चढ़ाव होगा. घाट पर पूजा के लिए कोणीय चबूतरे भी बनाये जाएंगे, घाटों पर शिप्रा के श्री राम घाट की तरह ही पत्थर लगाए जाएंगे. महापौर मुकेश टेटवाल बताते हैं कि सिंहस्थ 2028 में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे. सभी को स्नान के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा.

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